भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-32, क्रमांक:-21/2025-26/मंग.                                                                                   समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                    दिनांक: 10-06-2025

बीते सप्ताह का मौसम (04 से 10 जून, 2025)

सप्ताह के दौरान आसमान साफ़ रहा। दिन का अधिकतम तापमान 34.6 से 43.4 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 40.1 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 24.1 से 29.1 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 26.5 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 57 से 78 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 33 से 58 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 7.2 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 7.0 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 4.2 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 6.3 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 7.0 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 9.1 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-06-112025-06-122025-06-132025-06-142025-06-15
वर्षा (मि.मी.) 0.01.03.01.04.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}4443403838
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2927282828
बादलों की स्थिति (ओक्टा)24444
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम5050707075
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम2525404545
हवा की गति (कि.मी/घंटा)2020101010
हवा की दिशापश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
9.0
विशेष मौसम
गर्म और आर्द्र स्थिति। बहुत हल्की से हल्की वर्षा/तूफान/बिजली के साथ तेज हवाएं 40-50 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगी जो शाम/रात के समय आंधी के दौरान अस्थायी रूप से 60 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएंगी।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 11 जून, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को धान की नर्सरी तैयारी करने की सलाह है। एक हैक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई करने हेतु लगभग 800-1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में पौध तैयार करना पर्याप्त होता है। नर्सरी के क्षेत्र को 1.25 से 1.5 मीटर चौडी तथा सुविधानुसार लम्बी क्यारियों में बाँटे। पौधशाला में बुवाई से पूर्व बीजोपचार के लिए 5.0 किलोग्राम बीज के लिए बावस्टिन 10-12 ग्राम और 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन को 10 लीटर पानी में घोल लें। आवश्यकतानुसार इस घोल को बनाकर इसमें 12-15 घण्टे के लिए बीज को डाल दें। उसके बाद बीज को बाहर निकालकर किसी छायादार स्थान में 24-36 घण्टे के लिए ढककर रखें और पानी का हल्का-हल्का छिडकाव करते रहें। बीज में अंकुर निकलने के बाद पौधशाला में छिडक दें। अधिक उपज देने वाली किस्में:- पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1637, पूसा 44, पूसा 1718, पूसा सुगंध 5, पूसा सुगंध 4 (पूसा 1121), पंत धान 4, पंत धान 10। 
  • अरहर की बुवाई इस सप्ताह कर सकते है। अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। किसानों से यह आग्रह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पीएसबी) फँफूद के टीकों से उपचार कर लें। इस उपचार से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है। उप्युक्त किस्में:- पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 991, पूसा 992, पारस तथा मानक।
  • मूंग एवं उड़द की फसल की बुवाई हेतु किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। मूंग – पूसा-1431, पूसा-1641, पूसा विशाल, पूसा-5931, एस एम एल-668, सम्राट; उड़द- टाईप-9, टी-31, टी-39 आदि। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • यह समय अगेती फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च और बैंगन की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है, अतः किसान यह प्रयास करें कि वे कीट अवरोधी नाईलोन की जाली का प्रयोग करें ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए 40 % छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते हैं। बीजों को थीराम @ 2-2.5 ग्रा./कि.ग्रा. की दर से उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें।
  • भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद यूरिया @ 5-10 किलो प्रति एकड़ की दर से डाले तथा उसके उपरांत सिंचाई करें। साथ ही तापमान को ध्यान में रखते हुए माईट, जैसिड और होपर  की निरंतर निगरानी करते रहें। 
  • तापमान को देखते हुए,किसान तैयार सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम को करें तथा इसके बाद इसे छायादार स्थान में रखें।
  • इस मौसम में किसान अपनी मिट्टी की जांच किसी प्रमाणित स्रोत से करवाकर उचित पोषक तत्व भूमि में मिलाएं और जहाँ संभव हो अपने खेत को समतल करवाएं। 
  • फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों की खुदाई कर उनको खुला छोड दे ताकि हानिकारक कीटो-रोगाणु तथा खरपतवार के बीज आदि नष्ट हो जावें।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)    

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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